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मेरे बारे में
Anurag Harsh
पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले सत्रह वर्षों से सक्रिय हूं। कुछ न कुछ लिखने की आदत है, सो यहां लिख रहा हूं। यह विचार मेरे निजी है। किसी से भी जोडकर न देखें।
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सोमवार, 6 जुलाई 2009
प्रणब बाबा आए हैं
प्रणब बाबा आए हैं
बजट का बाजा बजाए हैं
एक को झुनझुना
दूजे को ताली वाला बंदर दिलाए हैं
सब महंगा कर, महंगाई दर घटाए हैं
रात को नहीं दिन में सपने दिखाए हैं
सपनों में सपना नहीं,
चुनाव के बाद की हकीकत दिखाएं हैं।
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